हिमाचल पर्यटन: बढ़ती संभावनाएं

                        हिमाचल में पर्यटन काफी विकसित है, लेकिन गोवा की तरह नहीं

शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट

हिमाचल में पर्यटन को विकसित करने की बहुत सी संभावनाएं हैं, लेकिन सैलानियों की संख्या नहीं बढ़ रही है। राज्य को पर्यटन राज्य कहलाने के बावजूद पर्यटन का महज 6.6% सकल घरेलू उत्पाद में योगदान है। पर्यटन व्यवसायी पर्यटकों की निरंतर कमी से चिंतित हैं।


 हिमाचल आने वाले आधे सैलानी दो या तीन दिन से अधिक नहीं रहते। दिल्ली, पंजाब और हरियाणा से अधिक लोग हिमाचल आ रहे हैं। ट्रैफिक जाम और अनियमित निर्माण से सैलानी हिमाचल से कश्मीर, उत्तराखंड की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यहां रेल और हवाई यात्रा भी सीमित है। हिमाचल में किराया बहुत अधिक है क्योंकि कश्मीर और उत्तराखंड में फ्लाइट्स बहुत कम हैं। 

पर्यटन स्थलों से सिर्फ शिमला और कांगड़ा तक रेल संपर्क है। विदेशी सैलानियों में कमी चिंता का विषय है। 31 दिसंबर को हिमाचल में रिकॉर्ड सैलानी नए साल का जश्न मनाया जाता है, लेकिन इस बार इसका उत्साह कम था। न्यू ईयर पर होटलों में पहली बार 40 से 60 प्रतिशत कमरे खाली रहे।

पर्यटन विकास के लिए ये हैं सरकारी योजनाएं

  • कांगड़ा को प्रदेश की पर्यटन राजधानी बनाने का एलान किया है। 
  • गगल हवाई अड्डे के विस्तार की योजना है 
  • प्रदेश में 9 हेलीपोर्ट बनाने की योजना है। सरकार ने स्वदेश दर्शन-2 के तहत पर्यटन विकास के लिए मास्टर प्लान बनाया है। 
  • होम स्टे इकाइयों में ठहरने वाले सैलानियों को बेहतर सुविधाएं मिले इसके लिए इन्हें पर्यटन विकास एक्ट के दायरे में लाने का प्रस्ताव है। 
  • कांगड़ा जिले के बनखंडी में चिड़ियाघर बनाना भी प्रस्तावित है।



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