एमएसपी पर 10 से 30% लाभ पर शराब बेचने का नया व्यापारिक अवसर

                    कारोबारी केवल 10 से 30 प्रतिशत एमएसपी लाभांश पर शराब बेच सकेंगे।

शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश में शराब कारोबारी केवल एमएसपी (न्यूनतम विक्रय मूल्य) पर 10 से 30 प्रतिशत लाभांश पर शराब बेच सकते हैं। कर एवं आबकारी विभाग ने विभिन्न श्रेणी के शराब ब्रांडों को लाभांश की प्रतिशतता के पोस्टर चस्पा करके ओवरचार्जिंग को रोकने का प्रयास किया है। 


इस साल, हिमाचल प्रदेश सरकार ने ठेकेदारों को पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की तरह खुद लाभांश निर्धारित करने का अधिकार दिया है। शराब की बोतलों पर पहले अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) लिखा जाता था। शराब की बोतलों पर अब सिर्फ न्यूनतम विक्रय मूल्य लिखा जाता है। 

MSRP से अधिक मार्जिन पर शराब बेचने वाले ठेकेदारों को भी लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी गई है। हाल ही में राज्य सरकार ने अपनी आबकारी नीति को बदलकर अवैध शराब की निगरानी को पड़ोसी राज्यों से अलग कर दिया। प्रदेश में नई व्यवस्था पहली अप्रैल से लागू हो गई है। कर एवं आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। 

यदि शराब महंगी दरों पर किसी ठेके पर बेची जाती है तो ग्राहक दूसरे ठेके पर जाकर भी दरों को जान सकते हैं। इस स्थिति में, ग्राहक जिस ठेके पर सस्ती शराब मिलेगी, वहीं से खरीदेगा। नए प्रावधान से इस वर्ष लगभग 2800 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करना लक्ष्य है। 

2023-24 के दौरान शराब से सरकार को 2600 करोड़ का राजस्व मिला। एमएससी विदेशी व्हिस्की, रम, वोदका, जिन, बीयर, वाइन और सिडार पर 10% लाभांश देता है। तीस प्रतिशत से अधिक देसी शराब का लाभांश नहीं होना चाहिए। देश में उत्पादित बीयर का लाभांश 30 प्रतिशत है। 

विभाग ने देश में उत्पादित अंग्रेजी शराब को दो श्रेणियों में विभाजित किया है। इसमें न्यूनतम ब्रांड की शराब पर 15% और उच्च ब्रांड की शराब पर 30% लाभांश निर्धारित किया गया है। उस ब्रांड की शराब का एमएसपी 500 रुपये से अधिक होगा। 500 रुपये से अधिक एमएसपी वाली अंग्रेजी शराब सुपर ब्रांड है। 

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