भारत-जापान संयुक्त मिशन, इसरो का लैंडर और जापानी रोबर मॉड्यूल

इसरो वैज्ञानिक ने अपने पहले मिशन पर भी कहा, "इसरो लैंडर बनाएगा और जापान रोबर मॉड्यूल देगा

हमीरपुर, ब्यूरो रिपोर्ट 

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां अब इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) से चंद्रयान-3 की सफलता से प्रभावित हैं। वे भी इसमें दिलचस्पी दिखाते हैं। अब जापान की स्पेस एजेंसी जाक्सा रोबर मॉड्यूल और इसरो मिलकर चंद्रयान-4 में लैंडर मॉड्यूल बनाएंगे।  


एनआईटी हमीरपुर में इसरो के वैज्ञानिक समनीत ठाकुर ने वार्षिक टेक फेस्ट निंबस कार्यक्रम में यह बात कही। इसरो के वैज्ञानिक भी शामिल हुए हैं। फेस्ट इंजीनियरिंग का प्रदर्शन करता है। उनका कहना था कि द्विपक्षीय सहयोग से दो अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं बहुत कुछ सीखती हैं। 

समनीत ठाकुर बिलासपुर जिले के बरठीं में जन्मे हैं और वहीं से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की है। उनका कहना था कि बचपन से ही देश के लिए कुछ करना चाहते थे। आम लोगों के जीवन में स्पेस विज्ञान बहुत फायदेमंद है। इसरो प्लेनेटरी मिशन में कठिनाई और सफलता दोनों होती हैं। उनका कहना था कि लैंडर विक्रम से चंद्रयान दो में संपर्क टूटने के बाद इसरो ने योजना बनाई कि यह क्या हुआ था। 

कहाँ और क्या कमी हुई है? लैंडिंग मॉड्यूल को व्यापक परीक्षण के बाद पुनः डिजाइन किया गया था। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने वैज्ञानिकों से कहा कि वे असफलता को सफलता में बदलने पर विचार करें। इससे हमारी आत्मविश्वास बढ़ी। इसी भावना ने लैंडर व्रिकम और प्रज्ञान रोबर को चंद्रयान 3 में सफलता दिलाई। 

चंद्रयान तीन की सफल लैंडिंग के बाद अब विदेशी एजेंसी भी इसरो में रुचि दिखाने लगी हैं। एस्ट्रोनॉट बनने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों को समनीत ने बताया कि एस्ट्रोनॉट बनने के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं: मेहनत और धैर्य। नियमित रूप से एक ही काम करने से आपको उदासीन नहीं होना चाहिए। उस काम पर हर दिन मेहनत करने पर उसका कोई असर अवश्य होगा। 

रिसर्च में धैर्य की बहुत जरूरत है। भारत में रिसर्च करने के लिए बहुत से विकल्प हैं। सभी युवा लोगों को धैर्य रखना चाहिए और अपने लक्ष्य को पूरा समर्पित करना चाहिए। स्नातक करते समय बहुत ध्यान से पढ़ना चाहिए। वहीं से रिसर्च क्षेत्र में जाने में मदद मिलती है। आठ घंटे सोने, आठ घंटे पढ़ने और आठ घंटे काम करने के लिए दें। इसके बाद अच्छे नतीजे मिलेंगे।  समनीत ठाकुर बिलासपुर जिले के बरठीं में जन्मे हैं और वहीं से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की है। इसके बाद एनआईटी हमीरपुर से 2014 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री हासिल की। बाद में उन्होंने निजी क्षेत्र में काम किया और अब सात वर्षों से इसरो में वैज्ञानिक सेवाएं दे रहे हैं।




Comments