वीरभद्र गुट: नए दौर में आवाज़ का महत्व

बागियों का उत्सव अब नहीं होगा.. वीरभद्र गुट को एकजुट करने की रणनीति; भाजपा की नीति पर भी कड़ी निगरानी

शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट

अब सुक्खू सरकार बागियों का उत्सव नहीं मनाएगी। वीरभद्र गुट को साधने की योजना बनाई गई है। भाजपा की चाल, छह अयोग्य विधायकों समेत, खुफिया तंत्र की निगरानी में रहेगी। नाराज कर्मचारियों को भी काम मिलना शुरू हो गया है। अब सुक्खू सरकार अयोग्य कांग्रेस विधायकों का सम्मान नहीं करेगी। सरकार को स्थिर रखने के लिए वीरभद्र गुट को नियंत्रित करने की योजना बनाई गई है। 


कांग्रेस के 34 विधायकों को एकजुट रखने के लिए भी पूरी कोशिश की जाएगी। भाजपा के अगले कदम पर, छह अयोग्य विधायकों सहित, खुफिया तंत्र कड़ी नजर रखेगा। सरकार में भी नाराज चल रहे संगठन के सक्रिय सदस्यों को पद मिलेंगे। सरकार ने कांग्रेस हाईकमान से चर्चा करके अस्थिरता से बचने के लिए कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।  अब छह अयोग्य विधायकों (सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा और रवि ठाकुर) पर अधिक विचार नहीं करने का निर्णय लिया गया है। 

अब मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का पूरा ध्यान सरकार और संगठन की मजबूती पर है। कांग्रेस सरकार को बचाने के लिए हर संभव उपाय करना शुरू कर दिया गया है। इसी रणनीति से शनिवार को महाधिवक्ता कार्यालय में बीस नियुक्तियां भी हुईं। बीते वर्ष, सरकार ने महाधिवक्ता कार्यालय में 35 नियुक्तियां कीं। संगठन ने लंबे समय से नियुक्तियों की मांग की है। अब सरकार ने 20 अतिरिक्त महाधिवक्ता और उप महाधिवक्ता नियुक्त किए हैं। किसी भी सरकार को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कांगड़ा जिले में भी भरपाई का काम शुरू हो गया है। सरकार ने फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया को राज्य योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाकर जिला को अधिमान देने का प्रयास किया। 

मुख्यमंत्री ने युवा विधायक भवानी सिंह पठानिया की नियुक्ति से कांगड़ा जिले में अनेदखी होने के आरोपों को दूर करने का संकेत दिया है। सरकार ने भी आने वाले दिनों में और नियुक्तियां करने का संकेत दिया है। शनिवार शाम को कैबिनेट बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री सीधे सचिवालय से हॉलीलॉज पहुंचे, जो डैमेज कंट्रोल की कड़ी में था। सूत्र बताते हैं कि मुकेश प्रतिभा सिंह की नाराज़गी को दूर करने गए। उन्होंने प्रतिभा सिंह को आश्वस्त किया कि अब संगठन और सरकार पूरी तरह से समन्वित होंगे। हिमाचल प्रदेश की चौबीस महीने की सरकार में अब मुख्यमंत्री की सुरक्षा से लेकर कार्यालय तक में भी बदलाव होगा। 

पूर्व में, मुख्यमंत्री सुक्खू ने सार्वजनिक तौर पर कई बार कहा था कि हम तबादले करने नहीं आए हैं। पुरानी सरकार के कर्मचारियों को भी बदल नहीं दिया गया है, लेकिन प्रदेश में बदले हुए राजनीतिक हालात के बाद अब मुख्यमंत्री आवास, कार्यालय और उनकी सुरक्षा टीम में भी बदलाव करने की तैयारी होने लगी है। ऐसे में मुख्यमंत्री से अधिकांश समय संपर्क में रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को जल्द ही बदल दिया जाएगा।

 

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