कांग्रेस के बागियों को टिकट देने की चुनौती

                                कांग्रेस के बागियों को टिकट देने की चुनौती, अपनों को मनाना चुनौती

शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट 

कांग्रेस के बागियों को टिकट दिए गए हैं, लेकिन भाजपा के सामने बागियों को मनाने की बड़ी चुनौती है। भाजपा को बगावत के मामले में ज्यादा अनुशासित माना जाता है, लेकिन कई पुराने नेताओं की महत्वाकांक्षाएं उसके आगे बढ़ सकती हैं। 


कांग्रेस और भाजपा के बीच प्रदेश में चल रहे राजनीतिक संघर्ष के दौरान हर दिन नए राजनीतिक गणित बनते और बिगड़ते हैं। भाजपा में निर्दलीय सदस्यों और बागी विधायकों की एंट्री से कई नेताओं में असंतोष बढ़ा है। 2022 में भाजपा के प्रत्याशी चुनाव हारने वाले विधानसभा क्षेत्रों में इससे भेदभाव हो सकता है। इन नेताओं को यह चिंता सताने लगी है कि निर्दलियों और बागियों को विधानसभा प्रत्याशी बनाने से उनका क्या भविष्य होगा। 

कांग्रेस अब इन भाजपा नेताओं को देख रही है। इन नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी इसे हल्के से कहा है। यही लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशी घोषित नहीं करने का कारण है। लाहौल-स्पीति विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक रहे रवि ठाकुर के भाजपा में शामिल होने से पूर्व मंत्री रामलाल मारकंडा ने भी अपने समर्थकों के साथ इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने का घोषणा किया है। 

कुटलैहड़ से पांच बार विधायक रहे वीरेंद्र कंवर भी इससे खुश नहीं हैं। वह खुद भी नाराज हो गया है और नए प्रत्याशी देवेंद्र कुमार भुट्टो के स्वागत कार्यक्रम में नहीं गया है। नालागढ़ के निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर ने भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा के प्रत्याशी रहे लखविंद्र राणा ने उनसे धोखा खाने की बात कही. वह सिर्फ भाजपा के मंच पर भावुक हो गए। रमेश धवाला भी देहरा से होशियार सिंह के भाजपा में आने से नाराज हैं। चैतन्य शर्मा ने भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद गगरेट से पहले भाजपा प्रत्याशी रहे राकेश कालिया ने पार्टी छोड़ दी। ऐसा ही कुछ अन्य पक्षों में है। भाजपा को इसके नुकसान को नियंत्रित करना कठिन होगा।

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