हिमाचल प्रदेश : - नए साल में बदलाव: जनवरी से हिमाचल प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में प्रीपेड बिजली मीटर लागू होंगे
जनवरी से हिमाचल प्रदेश में सभी सरकारी कार्यालयों में प्रीपेड बिजली मीटर लगाए जाएंगे। यह व्यवस्था पहले सरकारी कार्यालयों में लागू होगी। इसके बाद घरेलू और औद्योगिक ग्राहकों को भी प्रीपेड मीटर लगाने का विकल्प मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए नए साल की शुरुआत एक बड़े बदलाव के साथ होने जा रही है। राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में जनवरी से प्रीपेड बिजली मीटर लगाए जाएंगे। हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इन दिनों मीटरों की टेस्टिंग का काम जारी है। बोर्ड के अनुसार प्री-पेड मीटर प्रणाली लागू होने से न केवल बिजली खपत पर नियंत्रण रहेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को मौजूदा व्यवस्था की तुलना में करीब डेढ़ फीसदी तक सस्ती बिजली भी मिलेगी।
पहले चरण में यह व्यवस्था सरकारी कार्यालयों में लागू होगी। इसके बाद औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं को भी प्रीपेड मीटर लगाने का विकल्प दिया जाएगा। यदि यह प्रणाली सफल रहती है तो भविष्य में इसे बड़े स्तर पर लागू किया जा सकता है। प्रीपेड मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को बिजली के लिए पहले से रिचार्ज कराना होगा, ठीक उसी तरह जैसे मोबाइल फोन में बैलेंस डलवाया जाता है। जितनी राशि का रिचार्ज होगा, उतनी ही बिजली उपभोग की जा सकेगी। रिचार्ज समाप्त होते ही बिजली आपूर्ति बंद हो जाएगी, जिससे अनावश्यक खपत पर रोक लगेगी और बकाया बिल की समस्या खत्म होगी। बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक आदित्य नेगी ने बताया कि सरकारी कार्यालयों में प्रीपेड मीटर लगाने के बाद इसके परिणामों का आकलन किया जाएगा। सकारात्मक अनुभव के आधार पर औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं को भी इस आधुनिक प्रणाली से जोड़ने की योजना है।
मोबाइल एप से रोजाना खपत पर सीधी नजर
इस नई व्यवस्था की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उपभोक्ता मोबाइल एप के माध्यम से अपनी रोजाना बिजली खपत पर सीधी नजर रख सकेंगे। किस समय कितनी बिजली खर्च हो रही है, इसकी पूरी जानकारी मोबाइल पर उपलब्ध होगी। इससे सरकारी कार्यालयों में अनावश्यक बिजली खर्च पर अंकुश लगेगा और ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
बिजली बोर्ड को भी होगा फायदा
बिजली बोर्ड के लिए भी यह व्यवस्था लाभकारी मानी जा रही है। प्रीपेड मीटर से बिल वसूली की समस्या खत्म होगी, बकाया राशि में कमी आएगी और प्रशासनिक खर्च घटेगा। साथ ही मीटर रीडिंग, बिल वितरण और विवादों में भी कमी आने की उम्मीद है।
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