हिमाचल प्रदेश : - चिकित्सकों की हड़ताल समाप्त, अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं शुरू, मरीजों को राहत

Himachal Doctor Strike Update : - रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) आईजीएमसी शिमला ने दिल्ली से वापस आने पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के पत्र के बाद हड़ताल को समाप्त करने का निर्णय लिया है।


आईजीएमसी में मारपीट प्रकरण में बर्खास्त चिकित्सक की बहाली और चिकित्सकों की सुरक्षा की मांग को लेकर रेजिडेंट और मेडिकल ऑफिसर की हड़ताल रविवार को समाप्त होने के बाद सोमवार को अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं शुरू हुई। आईजीएमसी व केएनएच मातृ शिशु एवं स्त्री रोग अस्पताल में हड़ताल पर गए रेजिडेंट के साथ कंसलटेंट ने ओपीडी में मोर्चा संभाल कर मरीजों का उपचार शुरू कर दिया, वहीं क्षेत्रीय दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर चिकित्सकों ने अपने अपने विभाग में सुबह साढ़े नौ बजे ही पहुंच कर सेवाएं शुरू कर दी।

इससे राजधानी शिमला सहित पूरे प्रदेश भर के अस्पतालों में हड़ताली चिकित्सकों के के लौटने से आम लोगों ने राहत की सांस ली है। मरीजों को अब अस्पतालों में उपचार मिलना शुरू हो गया है। हड़ताल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के रविवार देर शाम को वापस लेने के एलान के साथ ही कुछ रेजिडेंट्स के हड़ताल को जारी रखने को लेकर किये गए प्रदर्शन से आम लोगों को सोमवार को ओपीडी सेवाएं नियमित होने की उम्मीद कम थी, शायद यही वजह रही कि सोमवार को ओपीडी में कम संख्या में मरीज पहुंचे थे।

समय सुबह 10:46 मिनट डीडीयू क्षेत्रीय अस्पताल में पर्ची काउंटर पर मरीज पंजीकरण करवाकर ओपीडी में चिकित्सकों को दिखाने जा रहे है। 10:47 बजे स्किन ओपीडी के बाहर पाचं छह मरीज खड़े है, अंदर चिकित्सक डा. अमित चौहान मरीजों को देख रहे है। वहीं स्त्री रोग विभाग की ओपीडी के बाद दस से बारह महिला मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे है, बारी बारी अंदर जा रहे है।

अस्पताल के आर्थोपेडिक्स विभाग में डा. प्रदीप जोल्टा और डॉ. अभिवन शर्मा दोनों बैठे मरीजों को देख रहे है, मगर सबसे अधिक भीड़ वाले इस विभाग की ओपीडी में आज पांच से छह मरीज ही पहुंचे हैं। 11 बजे तक अस्पताल के पंजीकरण काउंटर से 277 मरीजों का पंजीकरण करवाकर पर्चियां बन चुकी थी। ऊपरी मंजिल में जैरियेट्रिक ( बुजुर्गजन)चिकित्सा ओपीडी में चिकित्सक उपलब्ध नहीं है। यहां ठियोग निवासी बुजुर्ग वेद प्रकाश अपने शूगर का उपचार करवाने आए थे।

वहीं 82 वर्षीय भारत प्रसाद सर्दी जुकाम और खांसी, लालपानी से आई महिला मरीज कोमो देवी अपनी रिपोर्ट दिखाने को आई है। उन्हें बताया गया कि एक तारिख तक डॉक्टर नहीं बैठेंगे, वे ट्रेनिंग पर गए है। इस पर 11:05 पर ये मरीज बारह नंबर कमरे में मेडिसन ओपीडी में डॉ. सोनिया कश्यप और डॉ. कपिल की ओपीडी में दिखाने के लिए पहुचे, यहां चिकित्सकों ने इनका उपचार किया। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए भी मरीज पहुंचे थे, उनका बारी बारी नंबर आ रहा था। 11:15 पर डेंटल ओपीडी में सिर्फ एक मरीज और आई ओपीडी में तीन चार मरीज ही उपचार करवाने को कतार में खड़े नजर आए।

आईजीएमसी न्यू ओपीडी ब्लॉक

समय सुबह के 11:46 मिनट अस्पताल के आपातकालीन विभाग में रेजिडेंट चिकित्सक रूटीन में मरीजों का उपचार कर रहे है। भीड़ कुछ कम है। अस्पताल के सर्जरी विभाग में तीन से चार मरीज ही है, उपचार करवाकर लौटी घणाहटटी की महिला मरीज विद्या देवी(58 )ने बताया कि आते ही नंबर पड़ गया, डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी और उपचार किया और दवाई लिखी है। शाम को ही मेडिसन विभाग में चिकित्सक बैठे है, बारह बैंच पर पांच से सात मरीज बैठे बारी का इंतजार कर रहे है।

रामपुर के आई महिला मरीज बाला दासी (66 साल) ने बताया कि वे सुबह ही ओपीडी में आ गए थे, डॉक्टर ने देख लिया है। शाम को हड़ताल समाप्त होने की सूचना जारी होने के बाद सुबह ही अस्पताल आए। सुन्नी से गले में दर्द के कारण आपाताकालीन विभाग में उपचाराधीन मरीज सागरू राम के परिजन ने बताया कि अब मरीज का एडमिशन हो रहा है। बाल रोग विभाग में भी नाम मात्र ही मरीज पहुंचे, यहां अपने बच्चे को लेकर आई सिरमौर की सरिता ने बताया कि उनका नंबर आने वाला है।

सोमवार को सबसे अधिक भीड़ वाले आर्थो विभाग में तीन चार ही मरीज थे। 77 वर्षीय यशोधा देवी के बेटे नीरज ने बताया कि आज कोई भीड़ नहीं थी, अस्पताल आने के लिए हड़ताल के समाप्त होने का इंतजार ही कर रहे थे, आते ही उनका नंबर पड़ गया, रिपोर्ट दिखाने के बाद अब डॉक्टर ने दवाई लिखी है। अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में मरीजों की संख्या अधिक नजर आई, मगर यहां भी चिकित्सक और रेजिडेंट डॉक्टर पहले की तरह बारी बारी से मरीजों का बुलाकर उनको देखने और उपचार का कार्य कर रहे थे। यहां पहुंचे मरीजों ने कहा कि हड़ताल के समाप्त होने का ही वे इंतजार कर रहे थे, आज वे ओपीडी में डॉक्टरों को दिखाने के लिए आ गए ।

दिल्ली से लाैटने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के संदेश के बाद रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) आईजीएमसी शिमला यह ने फैसला लिया। सीएम ने दोटूक कहा था कि पहले हड़ताल वापस लो, उसके बाद बातचीत होगी।

उधर, आरडीए का दावा है कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में विस्तृत जांच शुरू करने और डॉ. राघव निरूला को बर्खास्त करने के आदेश वापस लेने का आश्वासन दिया है। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री के आश्वासन पर विश्वास जताते हुए जनहित को ध्यान में रखते हुए हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की। रविवार देर शाम हुई बैठक के बाद आरडीए के अध्यक्ष डा. सोहेल शर्मा ने इसकी घोषणा की। 

डॉ. सोहेल शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया गया है। बर्खास्तगी आदेश रद्द होने तक आरडीए जांच में सहयोग करेगी। आगे की कार्ययोजना के लिए 3 जनवरी को बैठक होगी। उन्होंने राज्य की आरडीए और पूरे देश की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन को इस एकजुटता के लिए आभार व्यक्त किया। हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन, एसएएमडीसीओटी, राज्य के सभी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन और अन्य सभी एसोसिएशनों ने इस हड़ताल का समर्थन दिया था।

26 दिसंबर से हड़ताल पर गए थे डॉक्टर

मरीज से मारपीट मामले में आईजीएमसी के सीनियर रेजिडेंट डाॅ. निरूला को सरकार ने बर्खास्त किया था। बर्खास्तगी को रद्द करने की मांग को लेकर आरडीए और हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने 26 दिसंबर को सामूहिक अवकाश, 27 से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी।

दो समूहों में बंटी आरडीए, हड़ताल समाप्त करने पर दूसरा गुट नाराज

हड़ताल समाप्त करने को लेकर आरडीए दो समूहों में बंट गई है। आरडीए का दूसरा धड़ा सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने तक हड़ताल जारी रखने पर अड़ा हुआ है। रविवार को इस गुट ने आईजीएमसी के गेट पर वी वांट जस्टिस के नारे लगाए। इन रेजिडेंट डाॅक्टरों ने कहा कि लोगों ने आकर चिकित्स्कों को गालियां दीं, उन्हें मरने की धमकी दी, इससे उनका काम करना मुश्किल है। महिला चिकित्स्कों के लिए ड्यूटी रूम नहीं हैं, अस्पताल परिसरों में सीसीटीवी कैमरा नहीं है और न सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। इसलिए सरकार हमारी सुरक्षा को लेकर एसओपी जारी करे।



डॉक्टर के कॅरिअर को बर्बाद करना उद्देश्य नहीं : सुक्खू

आरडीए की हड़ताल समाप्त करने की घोषणा से पहले मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने रविवार दोपहर को नई दिल्ली से लौटने के बाद कहा कि उनके मन में डॉक्टर के कॅरिअर को बर्बाद करना उद्देश्य नहीं है। अनाडेल में पत्रकारों से उन्होंने कहा कि टांडा मेडिकल कॉलेज की एसोसिएशन ने सही कहा है कि डॉक्टर ने गलती की है। अगर गलती बार-बार अस्पताल में होती रही तो मरीज कोई नहीं आएगा। पैसे वाले मरीज बड़े-बड़े अस्पतालों में चले जाते हैं। डॉक्टर और मरीज सभी परिवार के सदस्य हैं। वह परिवार के मुखिया होने के नाते कह रहे हैं कि हड़ताल खत्म कर ज्वाइन करें। सीएम सुक्खू ने कहा कि चिकित्सकों सुरक्षा देने का दायित्व भी सरकार का है। वह मरीज उस डॉक्टर का भाई होता तो भी क्या वह हड़ताल करते। उन्होंने कहा कि अहं छोड़कर डॉक्टर सोमवार से अस्पताल जाएं, उसके बाद सरकार उनसे बातचीत कर समाधान निकालेगी। 


Comments