हिमाचल : - पुराने प्रस्ताव में संशोधन के निर्देश, घरेलू उपभोक्ताओं को चार बिजली मीटरों पर सब्सिडी मिल सकती है
हिमाचल प्रदेश सरकार ने बिजली बोर्ड प्रबंधन को मौजूदा सब्सिडी प्रस्ताव में बदलाव करके एक नया प्रस्ताव बनाने का आदेश दिया है। अब सरकार चार मीटर तक सब्सिडी देने का विचार कर रही है।
हिमाचल प्रदेश में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देने का रास्ता स्पष्ट हो सकता है। राज्य सरकार ने बिजली बोर्ड प्रबंधन को मौजूदा सब्सिडी प्रस्ताव को बदलकर एक नया प्रस्ताव बनाने के लिए कहा है। सरकार अब चार मीटरों तक सब्सिडी देने का विचार कर रही है, हालांकि पहले बोर्ड ने दो घरेलू बिजली मीटरों पर ही सब्सिडी देने का प्रस्ताव बनाया था।
मुख्यमंत्री कार्यालय और ऊर्जा विभाग को विभिन्न जिलों से कई तरह के सुझाव व आपत्तियां प्राप्त हुई थीं। खासकर संयुक्त परिवारों, बहुमंजिला घरों और अलग-अलग यूनिटों में रहने वाले सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया था कि दो मीटरों की सीमा वास्तविक जरूरतों को पूरा नहीं करती। इस पर सरकार ने बोर्ड को प्रस्ताव में संशोधन कर व्यावहारिक समाधान तैयार करने के निर्देश दिए हैं। ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सब्सिडी का उद्देश्य केवल वास्तविक घरेलू उपभोक्ताओं को लाभ देना है। कई स्थानों से इस तरह की शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ लोग आवासीय मीटरों को व्यावसायिक प्रयोजनों में उपयोग कर राहत का अनुचित लाभ उठा रहे हैं।
संशोधित प्रस्ताव में तकनीकी और उपभोक्ता स्तरीय प्रमाणीकरण के कई तरीके शामिल किए जाएंगे, जो इस्तेमाल को रोकेंगे। हिमाचल प्रदेश में बहुत से परिवार बहुमंजिला मकानों में रहते हैं, प्रत्येक में अलग-अलग मीटर लगाए गए हैं। इन परिवारों ने सरकार से लगातार मांग की कि मीटरों पर सब्सिडी की सीमा बढ़ाई जाए, ताकि सभी इसका लाभ ले सकें। ऐसे परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद है जब नई व्यवस्था लागू होगी।
कैबिनेट अंतिम निर्णय लेगा
लेकिन सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि मीटरों की संख्या बढ़ने से राज्य के राजस्व पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़े। बिजली बोर्ड एक सुधारित प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजेगा। कैबिनेट बैठक अंतिम निर्णय लेगी। राज्य में लगभग २२ लाख घरेलू ग्राहक हैं। हर कनेक्शन पर हर महीने 125 यूनिट तक बिजली फ्री है। बहुत से उपभोक्ताओं के नाम पर दो से अधिक मीटर हैं। ये परिवारों को कई कनेक्शनों पर मुफ्त बिजली मिल रही है। इन उपभोक्ताओं से कोई भुगतान नहीं किया जाता है। सरकार इस क्षेत्र में हर साल करोड़ों रुपये सब्सिडी देती है।
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