हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त और सस्ता राशन मिलता है, लेकिन बहुत से लोग इसका उपयोग नहीं करते हैं। विभागीय जांच ने पाया कि लाभार्थियों की सूची में 2,222 ऐसे नाम हैं जो मर चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त और सस्ता राशन पाने वालों की सूची में अनियमितताएं मिली हैं। केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई सूची के अनुसार राज्य के लगभग 5.32 लाख लाभार्थियों को संदिग्ध श्रेणी में रखा गया है। खाद्य आपूर्ति विभाग ने इनका सत्यापन शुरू कर दिया है।
विभागीय जांच में पाया गया कि लाभार्थियों की सूची में 2,222 ऐसे नाम दर्ज हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। इसके अलावा 2,918 वाहन मालिक गरीबों के मुफ्त और सस्ते राशन का लाभ उठा रहे हैं। जांच में 40 हजार ऐसे लाभार्थी हैं, जिनका दो जगह पंजीकरण है। प्रदेश में अब तक 21,088 लाभार्थियों का सत्यापन पूरा किया जा चुका है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की टीमें जिला स्तर पर सर्वे कर रही हैं और जो अपात्र हैं उन्हें सूची से बाहर किया जा रहा है।
केंद्र ने स्पष्ट किया है कि सूची में कई ऐसे लोग शामिल पाए गए, जिनके पास वाहन, एक हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि, तय सीमा से अधिक वार्षिक आय या सरकारी नौकरी है। कुछ लाभार्थियों ने पिछले छह महीनों से राशन ही नहीं लिया, इसी आधार पर उन्हें संदिग्ध श्रेणी में रखा गया है। प्रदेश में एनएफएसए के तहत लगभग 7 लाख परिवार राशन ले रहे हैं।
योजना के अंतर्गत प्रति सदस्य 2 किलो चावल मुफ्त और 2.800 किलो आटा 1.20 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से प्रति सदस्य को मिलता है। इसके अलावा अन्य खाद्य सामग्री सब्सिडी पर उपलब्ध कराई जाती है। खाद्य आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त निदेशक सुरेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि केंद्र की ओर से मिली सूची में कुछ लाभार्थी संदिग्ध श्रेणी में रखे गए हैं। विभाग जिला स्तर पर इनका सत्यापन कर रहा है। अपात्र लोगों को सूची से बाहर किया जा रहा है।
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