CM सुक्खू ने कहा कि आपदा प्रभावितों के लिए पहले राहत, बाद में पंचायत चुनाव

 मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि वोटरों का अधिकार नहीं छीन सकते, प्रदेश में डिजास्टर एक्ट को जल्दबाजी में नहीं करवा सकते, पंचायत चुनावों के लिए सही समय का आकलन किया जा रहा है और पंचायतों के पुनर्गठन पर रोक के आदेशों पर कानूनी राय ली जाएगी।


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को कांगड़ा में अपने दौरे पर स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता आपदा प्रभावितों को राहत देना है। फिलहाल, पंचायत चुनाव जल्दबाजी में नहीं हो सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में डिस्जाटर अधिनियम लागू होने के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें अभी तक पूरी तरह से नहीं खुली हैं। ऐसे में मतदाताओं का अधिकार हनन नहीं हो सकता। जब सड़कें खुल जाएंगी और सब कुछ सामान्य हो जाएगा, तभी चुनाव होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन पर कानूनी राय लेने का निर्णय लिया है जो पंचायतों और स्थानीय निकायों की संरचना, वर्गीकरण या सीमाओं में किसी भी बदलाव को रोकता है। राज्य सरकार ने मानसून के दौरान निजी और सरकारी संपत्ति को हुए भारी नुकसान का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों को टालने की मांग की थी, जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते। 



विपत्ति से प्रभावित परिवारों को राहत देना मेरी पहली जिम्मेदारी है। राहत कार्य पूरे होने के बाद पंचायतों में सड़कें खोली जाएंगी। हम अपना काम इन सभी हालात को देखते हुए कर रहे हैं। उनका कहना था कि हम नए पंचायत सीमाओं और पुनर्गठन की कानूनी जांच कर रहे हैं, फिर नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में चुनाव होंगे, लेकिन सही समय और हालात का पता लगाया जा रहा है। वर्तमान हालात और सरकार की राहत योजनाओं को देखते हुए, पंचायत चुनावों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।


राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि सरकार ने डिजास्टर अधिनियम को हटाया मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बताया कि प्रदेश में सामान्य गतिविधियां जारी हैं सुप्रीम कोर्ट और संविधान का हवाला देकर चुनाव करना आयोग का काम है



राज्य निर्वाचन आयोग ने आठ अक्तूबर, 2025 को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत जारी किए गए पत्र को तुरंत वापस लेने के लिए मुख्य सचिव संजय गुप्ता को पत्र लिखा है। राज्य सरकार ने इस पत्र में डिजास्टर मैनेजमेंट अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के बाद चुनाव होंगे।  राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव ने मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में कहा कि राज्य में सामान्य कार्यक्रम चल रहे हैं। जिन शिक्षण संस्थानों में पोलिंग बूथ लगे हैं, जिला प्रशासन मेलों का आयोजन कर रहा है। दैनिक गतिविधियां भी चल रही हैं। विधानसभा चुनावों को करवाने के लिए डिजास्टर एक्ट को हटाना आवश्यक है क्योंकि सडक़ों का प्रभाव कुछ क्षेत्रों में हो सकता है, लेकिन चुनावों पर कोई असर नहीं होता।


15 नवंबर को राज्य निर्वाचन आयोग ने अधिकारियों को इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाया था, लेकिन वे बैठक में नहीं पहुंचे। राज्य निर्वाचन आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 243 का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव करवाना उसका काम है। यह प्रक्रिया पंचायतों के वर्तमान कार्यकाल खत्म होने से पहले पूरी होनी चाहिए। सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि संविधान में पंचायती राज चुनाव से संबंधित मैंडेट को किसी को वायलेट करने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार राज्य चुनाव आयोग को भी पत्र भेज सकती थी और इस बारे में आयोग को कंसीडर कर सकती थी अगर आपदा के बाद राज्य में ऐसी आपातकालीन स्थिति होती। निर्वाचन आयोग ने बताया कि डिजास्टर एक्ट के तहत जारी किया गया कानून आठ अक्तूबर, 2025 को लागू होगा। 

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