24 अक्तूबर 2013 को न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने एचआरटीसी को कंडक्टरों को भी 1 अक्टूबर 2012 से 1 जनवरी 2016 तक क्लर्कों को दिए गए समान वेतनमान देने का आठ सप्ताह के भीतर कार्यालय आदेश जारी किया।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कंडक्टरों के वेतनमान में विसंगति को दूर करते हुए क्लर्को के समान वेतन लाभ देने का निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने एचआरटीसी को आठ सप्ताह के भीतर 24 अक्तूबर 2013 के कार्यालय आदेश के तहत 1 अक्टूबर 2012 से 1 जनवरी 2016 तक की अवधि के दौरान क्लर्कों को दिए गए समान वेतनमान को कंडक्टरों के लिए भी जारी करने का निर्देश दिया है। यह मामला ट्रेड यूनियन्स एक्ट 1926 के तहत पंजीकृत एक यूनियन द्वारा अपने सदस्यों (एचआरटीसी कंडक्टरों) के वेतनमान में विसंगति के संबंध में दायर किया गया था।
याचिका में बताया गया कि 1978 से लेकर 2006 तक पांचवें वेतन पुनरीक्षण तक, एचआरटीसी में कंडक्टर और क्लर्क दोनों के पद एक ही वेतनमान पर थे। समस्या 1 अक्तूबर 2012 से उत्पन्न हुई जब राज्य सरकार ने 27 सितंबर 2012 को एक अधिसूचना जारी कर राज्य में कुछ पदों, जिसमें क्लर्क शामिल थे, के लिए संशोधित वेतन बैंड और ग्रेड पे (10300-34800+3200 जीपी) दिया। चूंकि कंडक्टर का पद राज्य सरकार के अधीन नहीं था, यह अधिसूचना में शामिल नहीं हो सका। एचआरटीसी ने 24 अक्तूबर 2013 के अपने कार्यालय आदेश से राज्य सरकार की अधिसूचना को लागू किया, जिससे एचआरटीसी के क्लर्को को उच्च वेतनमान मिला, लेकिन कंडक्टरों को नहीं, जिससे 4 साल की अवधि के लिए विसंगति पैदा हो गई। एचआरटीसी ने स्वयं अगले सामान्य वेतन पुनरीक्षण (1 जनवरी 2016 से प्रभावी) में दोनों पदों को फिर से समान वेतनमान में रखकर इस विसंगति को दूर कर दिया।
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