हिमाचल प्रदेश : - हिमाचल प्रदेश का राजकोषीय और राजस्व घाटा बढ़ा, सीएम सुक्खू ने सदन को बताया

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन नियम 2005 के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सूचना फार्म 5 की सूचना सदन के पटल पर प्रस्तुत की।

हिमाचल प्रदेश में राजकोषीय और राजस्व घाटा दोनों ही बजट अनुमानों से अधिक बढ़ गए हैं। चालू वित्तीय वर्ष में जहां राजकोषीय घाटा 12,114.00 करोड़ रहने का अनुमान है, जो जीडीपी का 4.74 प्रतिशत रहेगा। इसी तरह राजस्व घाटा 7434.92 करोड़ रुपये रहेगा, जो बजट अनुमान से 1044.85 करोड़ अधिक होगा। प्राथमिक घाटा 3599.12 करोड़ से बढ़कर 5375.15 करोड़ होने की संभावना है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन नियम 2005 के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सूचना फार्म 5 की सूचना सदन के पटल पर रखी।

इसके अनुसार राज्य वस्तु एवं सेवा कर, भू-राजस्व और राज्य उत्पाद शुल्क से प्राप्तियों में कमी के कारण कर राजस्व में 1726.55 करोड़ की कमी संभावित है। हाल ही में 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक की सिफारिशों पर केंद्र सरकार की ओर से 22 सितंबर 2025 से जीएसटी की दरों का युक्तिकरण किया गया है, जिसमें 12 और 28 प्रतिशत स्लैब दर को समाप्त कर दिया गया है। इसके कारण राज्य माल और सेवा कर से प्राप्तियों में वर्ष 2025-26 के साथ-साथ आगामी वित्तीय वर्षों में भी कमी संभावित है। हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व संशोधन अधिनियम 2025 के तहत भू-राजस्व के विशेष आकलन में प्रक्रियागत देरी के कारण 1000 करोड़ रुपये की प्राप्ति अपेक्षित नहीं है। गैर कर राजस्व बजट अनुमानों के स्तर पर रहना संभावित है।

बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं से प्राप्तियों तथा स्थानीय निकायों को स्वास्थ्य क्षेत्र अनुदान में वृद्धि के कारण राजस्व प्राप्तियां बजट अनुमानों से थोड़ी अधिक रहने की संभावना है। उपदान, सहायता अनुदानों, हिमकेयर तथा विभिन्न न्यायालय के मामलों के अनुपालन पर व्यय में वृद्धि के कारण राजस्व व्यय में वृद्धि संभावित हैं। प्रतिबद्ध देनदारियों और न्यायालयों की ओर से दी गई डिक्री राशियों के कारण भी राजस्व व्यय बढ़ा है। राज्य सरकार सभी अनुत्पादक व्ययों में कटौती करने पर ध्यान देगी। सरकार ने विभिन्न संस्थानों का युक्तिकरण किया है, जो व्यय की कटौती में सहायक होंगे। राज्य सरकार ने विशिष्ट योजनाओं पर व्यय को पूरा करने के लिए विभिन्न उपकर भी लगाए हैं।

केंद्र प्रायोजित स्कीमों में 1662.73 करोड़ रुपये बढ़ोतरी संभावित, पर व्यय 1299.19 करोड़ बढ़ेगा

केंद्र प्रायोजित स्कीमों में 1662.73 करोड़ रुपये बढ़ोतरी संभावित है। इसका कारण एनडीआरएफ, प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, रेणुकाजी बांध विस्थापितों को मुआवजा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय आयुष मिशन, नए नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना और सरकारी मेडिकल कॉलेजों के स्तरोन्नयन आदि के लिए अनुदान की प्राप्ति शामिल है। राजस्व व्यय की बात करें तो यह राज्य की स्कीमों के अंतर्गत बजट अनुमानों के स्तर पर रहना संभावित है। केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों के व्यय में 1299.19 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी संभावित है। इसका मुख्य कारण एनडीआरएफ, प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, रेणुकाजी बांध विस्थापितों को मुआवजा, राष्ट्रीय आयुष मिशन आदि के लिए अनुदान की प्राप्ति शुमार है।

पूंजीगत परिव्यय में 337.47 करोड़ की बढ़ोतरी संभावित

पूंजीगत प्राप्तियां बजट अनुमानों के स्तर पर रहना संभावित है। पूंजीगत परिव्यय में 337.47 करोड़ की बढ़ोतरी संभावित है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं, सड़कों के निर्माण, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत राज्य हिस्से, मुआवजा मामलों में विभिन्न न्यायालय के आदेशों के अनुपालन आदि पर अधिक व्यय के कारण है। ऋणों का भुगतान बजट अनुमानों के स्तर पर रहना संभावित है। अन्य पूंजीगत व्यय में 40.90 करोड़ की बढ़ोतरी संभावित है। इसका कारण एएफडी की ओर से वित्तपोषित चांजू-तीन और देवथल चांजू परियोजना के अंतर्गत अधिक व्यय है।

यह बताए उपाय

  • राज्य की कर तथा गैर कर प्राप्तियों में वृद्धि का प्रयास करना।
  • विभिन्न विकासात्मक स्कीमों व कार्यक्रमों के वित्तपोषण के लिए केंद्र सरकार से उपलब्ध संसाधनों का पूरा लाभ उठाना।
  • बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं के माध्यम से वित्तीय संसाधनों में मदद लेना।
  • केंद्र की ओर से स्वीकृत ऋण का विकासात्मक कार्यों के लिए समुचित उपयोग।





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