हिमाचल प्रदेश : - ढली-कैथलीघाट फोरलेन किनारे बेनामी सौदों की आशंका

शिमला जिला प्रशासन ने कालका-शिमला फोरलेन के ढली से कैथलीघाट तक व्यापक निजी जमीन की खरीद-फरोख्त पर कार्रवाई की है।

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में कालका-शिमला फोरलेन के ढली से कैथलीघाट तक बड़े पैमाने पर हो रही निजी जमीन की खरीद-फरोख्त पर जिला प्रशासन हरकत में आ गया है। कृषि भूमि समेत बाकी निजी जमीन की बिक्री पर नजर रखने और बेनामी सौदों (कानूनी मालिक कोई और होता है) की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने हर रजिस्ट्री को चेक करने के निर्देश दिए हैं। एक बीघा या इससे ज्यादा जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले में खरीदार दोनों को उपायुक्त कार्यालय बुलाकर रिपोर्ट ली जा रही है। इसमें भूमि के मालिक से पूछा जा रहा है कि क्यों और किस कारण जमीन बेच रहे हैं। खरीदार से भूमि खरीद का कारण पूछा जा रहा है।


पूरी जानकारी के बाद रजिस्ट्री को मंजूरी दी जा रही है। उपायुक्त खुद भी कई मामलों में रिपोर्ट ले रहे हैं। इसके अलावा तहसीलदारों को हर खरीद-फरोख्त की पूरी रिपोर्ट रखने के निर्देश दिए हैं। ढली से कैथलीघाट तक प्रस्तावित फोरलेन के किनारे काफी निजी जमीन है। फोरलेन के चलते गांवों की इन जमीनों की कीमतें अब पहले से कई गुना बढ़ गई है। मुंह मांगा पैसा मिलने से लोग इन्हें बेच रहे हैं। फोरलेन से सटे गांवों के कई किसान अपने खेत तक बेच रहे हैं। इन जमीनों पर अभी से बहुमंजिला भवनों के निर्माण भी शुरू हो गए हैं। इनमें बाहरी राज्यों के लोगों के भी स्थानीय लोगों के नाम से जमीनें खरीदने की आशंका है। ऐसे बेनामी सौदों की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने जमीन की खरीद-फरोख्त पर निगरानी के निर्देश दिए हैं।

3,914 करोड़ से बन रहा 28 किलोमीटर लंबा फोरलेन

कालका-शिमला फोरलेन के तहत राजधानी में 28 किलोमीटर लंबे फोरलेन का निर्माण होना है। यह फोरलेन कैथलीघाट से ढली तक बन रहा है। इसकी निर्माण लागू करीब 3,914 करोड़ रुपये है। साल 2027 के अंत तक इसका निर्माण कार्य पूरा होना है। कैथलीघाट से शिमला तक बन रहा ज्यादातर फोरलेन ग्रामीण इलाकों के बीचोंबीच गुजर रहा है। पर्यटन की दृष्टि से यह फोरलेन काफी अहम होगा, इसे देखते हुए इन इलाकों की जमीनें काफी अहम है।

सारी जमीन बेच दी, अब उसी की कर रहे चौकीदारी

शोघी के पास कुछ मामले ऐसे भी आए हैं जहां लोगों ने फोरलेन किनारे की अपनी सारी जमीनें बेच दीं। इसके एवज में इन्हें पैसा तो मिल गया लेकिन वह खुद भूमिहीन हो गए। इनमें से कई लोग अब अपनी बिकी हुई जमीन की मासिक वेतन पर चौकीदारी कर रहे हैं। जिला प्रशासन के पास भी यह मामले पहुंचे हैं। जमीन की खरीद फरोख्त भूमि मालिक की मर्जी से हो रही है या नहीं, इसे भी चेक किया जा रहा है।

जमीन की खरीद-फरोख्त पर नजर रखना जरूरी

राजधानी में फोरलेन के किनारे हो रही जमीन की खरीद-फरोख्त पर चेक रखने के निर्देश दिए हैं। लोग क्यों और कितनी जमीन बेच रहे हैं, इस पर तहसीलदारों को नजर रखने को कहा गया है। -अनुपम कश्यप, उपायुक्त शिमला



 

Comments