हिमाचल प्रदेश में अप्रैल 2017 से मार्च 2022 के दौरान कोषागारों में वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं। कैग रिपोर्ट ने यह जानकारी दी है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षा (कैग) की रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश में कई वित्तीय अनियमितताओं और कुप्रबंधन का खुलासा हुआ है। इसमें राजस्व को करोड़ों का नुकसान हुआ है। प्रदेश के कोषागारों में अप्रैल 2017 से मार्च 2022 के दौरान वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं। शुक्रवार को यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सदन के पटल पर रखी। लेखा परीक्षा ने ई-सैलरी डाटाबेस की तालिकाओं के साथ एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली डाटाबेस की तालिकाओं की जांच की और पाया कि अप्रैल 2017 व मार्च 2022 के मध्य 59,564 बिल उन अधिकारियों ने पास कर दिए, जो अधिकृत नहीं थे।
14 मामलों में दो बार समान राशि के अवकाश नकदीकरण भुगतान एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली डाटाबेस के माध्यम से पास किया गया, जो सितंबर 2016 से अक्तूबर 2021 तक दावेदारों को 67.33 लाख के अनधिकृत भुगतान में परिणत हुआ। अप्रैल 2017 से मार्च 2022 के दौरान के 537 मामलों में 38 में चेक जारी करने की तिथि चेक बुक प्राप्ति की तिथि से पूर्व की थी। वर्ष 2017-22 से संबंधित कोषागार की टोकन तिथि और पास करने की तिथि के मध्य 45,470 बिलों में 15 से 90 दिन, 1,405 बिलों में 91 से 180 दिन तथा 272 बिलों में 180 दिन से अधिक का विलंब हुआ।
हिमाचल प्रदेश कोषागार नियमों में कहा गया है कि कोषागार अधिकारी या अधीक्षक सामान्य रूप से उप कोषागार के प्रभारी होंगे और जब भी दौरे पर हों या अन्यत्र हों। उस स्थिति में अधीक्षक व वरिष्ठ सहायक उसी उप कोषागार या जिला कोषागार के अधीक्षक या इस क्रम में कोई वरिष्ठ सहायक या जिला कोषाध्यक्ष जैसा भी मामला हो उप कोषागार का प्रभार संभालेगा। उप कोषागार में सूचीबद्ध विभिन्न आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को कोषागार अधिकारी की ओर सभी प्रकार के भुगतान के लिए अधिकृत किया जाएगा। कोषागार अधिकारी की अनुपस्थिति में अधीक्षक या वरिष्ठ सहायक प्रभारी हो सकते हैं।
पेंशनभोगियों से जीवन प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना पेंशन जारी रखी
हिमाचल प्रदेश कोषागार नियमावली में कहा गया है कि पेंशनभोगी को हर वर्ष जुलाई-अगस्त में जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है। लेखा परीक्षा में पाया गया कि कोषागारों व उप-कोषागारों ने निर्धारित महीनों के भीतर पेंशनभोगियों से जीवन प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना ही पेंशन स्वीकृत कर दी।
गैर पेंशनभोगियों के पक्ष में 19 बिल बनाकर 68,11,05 रुपये का गबन
गैर पेंशनभोगियों के पक्ष में 19 बिल उत्पन्न कर 68,11,052 रुपये का गबन किया गया, जिसमें कंप्यूटर ऑपरेटर भी शामिल था। गैर पेंशनभोगियों के लिए आहरित सारी राशि 11,38,930 अंततः कंप्यूटर ऑपरेटर के बैंक खाते में स्थानांतरित की गई। विभागीय जांच के परिणाम में कंप्यूटर ऑपरेटर से 11,38,930 और विभिन्न पेंशनभोगियों से 27,10,286 रुपये की वसूली की गई पर 29,61,836 की शेष राशि की वसूली करनी शेष थी।
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